निकले हो टटोलने को जनता मन तुम , एक पल बैठ कभी अपनों का टटोला है I
कर रहे कार्य कैसे जीवन का यापन कैसे एक क्षण बैठ कभी अपनों से बोला है ।I
बनते हो ज्ञानवान देते हो उपदेश सदा ,सिद्धांत महावीर का तुमने ही तोडा है I
त्राहिमाम मची थी तृष्त थी मनुजता संकट के क्षण में कर्मचारी को न छोड़ा है II
की थीअवहेलना आदेशों की तार-तार सरकारी अनुदान का फायदा उठाया था I
लेकर के सहारा कोरोना का सरेआम कर्मचारियों को भी नौकरी से हटाया था II
बनते हो अपने को बहुत बड़ा मर्मज्ञ क्या कभी तुमनेअपना मर्म भी टटोला है I
जानते हैं सभी जन तुम्हारे दोगले रूप को ,खेल तुमने सदा दोगला ही खेला है II